All publications of Vimal Dobal . जयपुर , भारत
कश्तियाँ ?♂️ आज फिर बनायी हमने काग़ज़ ? की
पर डुबने ?♂️का, वो अन्दाज़ अब नहि है।
बारिश?आज भी बरश रही है , उसी सावन? सी,
फिर भी भीगने ☔️का, वो अन्दाज़ अब नहीं है।
चाय के प्यालों ? संग पकोड़ों का स्वाद वही
फिर बैठ संग ? बातों में , वो ठहाँको ?का अन्दाज़ अब नहि है।
+10
+10
11