All publications of Pramod Singh . Chāpra , India
मजदूरो कि व्यथा
दास्तां क्या कहे हम अपनी
जी हां मजदूर हूं मै मजबूर हूँ मै ,
अपने निगाहबां के ऊकू़बत से ।।
मीलो चला हूँ नंगे पांव मै,
छाले पड़े है पांव मे सब ।
न थका हूँ मै न हारा हूँ मै,
चलता रहा हूँ बस चलता रहा हूँ मैं ।
कंभी शहर मे कभी गांव मे,
कभी रेल के पट़रियो के ताव मे।
कुछ पल रुका हूँ पीपल की छांव मे,
रोने लगे जब बच्चे राह में ।
कभी कुछ समाजसेवीयो ने थामा,
बस कुछ फोट़ो मदत करते हुए ड़ाला।
काबिल कलमकार भी मिले राहो मे ,
जख्म खोजते थे कैमरे हमारे भाव मे।
बस मेरे जख्मो कि नूमाईश कि जग में ,
और चल दिये घाव को नासूर करके।
हम तो बिक रहे थे हजारों हजार मे,
खबरों और टीवी के बाजारो में।
ईन संवेदनशील अखबारों में,
और नेताओं के डिपी और बयानों में ।
न सहलाया किसी ने समझाया किसी ने,
दर्द मेरा न समझा किसी ने ,
इत्तिहाम अब किसपे लगाए प्रमोद,
मजदूर हूँ मै मजबूर हूँ मै।
बिहार के हालात पर दो शब्द
मजलूमों के दर्द पे सिक रही है रोटियां बिहार के सियासतदानों कि,
रणनीति बनाई जा रही है बिहार विघानसभा मे झंडा लहराने कि।
शह और मात के ईस चुनावी खेल में ,
भ्रष्टाचार , हिन्दू मुस्लिम मुद्दा नहीं रहा अब खेल में,
पलायन, स्वास्थ्य और रोजगार का मुद्दा आ गया वेल में।
पप्पू साथियों के साथ ड़टे है मैदान मे , तेजु खडे है सोशल मीड़िया के भरोसे पर ,
सुशासन बाबू को भरोसा है अफसरान पर , छोटे भाई पिछलग्गू बनकर चल रहे है बड़े भाई के कांघ पर।
सबसे पुरानी पार्ट़ी का कोई खेवनहार नहीं और मांझी के पास अब पतवार नहीं,
पीके सोच रहे है आऊ कि नहीं मैदान मे , मल्लाह और कुशवाहा के पास नहीं है दम ।
प्लूरल्स क्या आपको भी कुछ करना है या हवाओं मे रहना है ?,
2020 इन्तजार रहेगा ईतने ठ़ोकर खाकर जनता क्या नया ईतिहास लिखेंगा।
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हे रब ये तेरा कैसा ईन्तहान है।
कोविड़ 19 और लाकँडाऊन 3.0
भारत अब लाकँडाऊन के तीसरे चरण जो 17/05/20 यानी 14 दिन का है ऊसमे आ गया है भारत में अभी तक लगभग 47000 लोग संक्रमित हो गये है । लाकँडाऊन 2.0 तक तो सब ठीक चल रहा था परंतु तीसरे चरण मे आते आते केन्द्र सरकार से चुक हो गई और जीस तरह से शराब के दुकान को आवश्यक वस्तुओं के ऊपर ज्यादा तरजीह दी गई वो सरकार के लिए खतरनाक साबित हो सकती है परंतु राज्य सरकार राजस्व का हवाला देकर (कहा जा रहा है कि एक दिन मे लगभग 500 करोड़ का शराब बिक्री हुआ है ) जो कर रही है वो ईनकी नीम्न स्तरीय राजनीति को दर्शाता है और जनता भी जीस तरह 41 दिन के तपस्या के बाद ईन दुकानों पे टुट़ पडि है ये दर्शाता है कि क्यो राजनेता विकास के स्वास्थ्य के जन कल्याण के मुद्दों कि परवाह नहीं करते वो जानते है जनता की कमजोरी और चुनाव जीतने के आवश्यक हतकंड़े । अब बीहार मे ही देखे अप्रवासी मजदूर के मुद्दों में कीतनी राजनीति चल रही है और ईन सब के बीच शिक्षक लोगों का हड़ताल जो काफी लम्बे समय से चल रहा था वह खत्म हो गया कैसे क्या ? सरकार सब मांग मान गई ? किसी को नहीं पता । ये जो यूनीयन के नेता होते है ऊनको सरकार मैनेज करना जानती है जब जरूरत होता है ईन लीड़रो का सरकार मुंह बंद कर देती है और जो ईनके पिछे चलते है कार्यकर्ता ऊनको कुछ नहीं पता होता ऊनका केवल ऊपयोग किया जाता है अपने स्वार्थ के लिए । और मजे कि बात ये है कि ऊन्हे पता भी नहीं चलता। खैर सरकार को अब ईनकी जरूरत लगी तो वो ईन्हे मैनेज कर लिए वरना ईनको पुछ भी नहीं रही थी ईनसबके बीच जो छात्रों का नुकसान हुआ ऊससे हमारे नेताओं को कभी मतलब ही नहीं रहा न ऊन बुद्धिजीवी शिक्षक को । हमारे यंहा मिडिया भी मैनैज होती है वो कैसे ? ऊसके लीए सरकार पेड़ न्यूज का प्रबंध कर के रखी है ईसका ईस्तेमाल सभी राजनीति दल और राज्य सरकार करती है ईसका सबसे अच्छा प्रयोग केजरीवाल जी ने दिल्ली मे कोरोना संकट़ मे किया और मीडिया का पेट़ भरा और मीडियाकर्मियों ने भी ऊन्हे सर आंखों पर बिठाया और कमीयों को नजरअंदाज किया।यहीं है मीडिया मैनेजमेंट ईसके लिए नीतीश जी ने पहले प्रशांत कीशोर को रखा था और ऊन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था पर अब वो नीतीश जी से खफा हो गए है और अब वो बीहार को बदलने कि तैय्यारी कर रहे है यह आगे विघानसभा चुनाव मे पता चलेगा की बीहार को बदलने मे वो कीस पार्ट़ी का सहयोग लेंगे। खैर जनता तो पीस रही है एक तरफ महामारी दुसरे तरफ प्रकृतिक आपदा और रोजगार का जाना तीहरी मार पड़ रही है जनता पर अब भगवान भी नजरे फेर लिए है देखते है लाकँडाऊन 3.0 के बाद क्या होता है।
मई दिवस पर मजदूरो का द्वन्द
मुर्गी अंडे दे रही थी और मालिक बेंच रहा था।
मुर्गी देशहित में अंडे दे रही थी।
उसके मालिक ने कहा था-
’’ आज राष्ट्र को तुम्हारे अंडों की जरूरत है।
यदि तुम चाहती हो कि तुम्हारा घर सोने का बन जाये तो जम के अंडे दिया करो। आज तक तुमसे अंडे तो लिये गये लेकिन तुम्हारा घर किसी ने सोने का नही बनवाया। हम करेंगे। तुम्हारा विकास करके छोड़ेंगे।’’
मुर्गी खुशी से नाचने लगी।
उसने सोचा देश को मेरी भी जरूरत पड़ती है।
वाह मैं एक क्या कल से दो अंडे दूंगी।
देश है तो मैं हूं।
वह दो अंडे देने लगी।
मालिक खुश था।
अंडे बेचकर खूब पैसे कमा रहा था।
मालिक निहायत लालची सेठ था।
उसने मुर्गी की खुराक कम कर दी।
मुर्गी चौंकी। -’’ आज मुझे पर्याप्त खुराक नहीं दी गई। कोई समस्या है क्या ?’’
-’’ देश आज संकट में है। किसी भी मुर्गी को पूरा अन्न खाने का हक नहीं। जब तक एक भी मुर्गी भूखी है मैं खुद पूरा आहार नहीं लूंगी। हम देश के लिए संकट सहेंगे।’’
मुर्गी आधा पेट खाकर अंडे देने लगी। मालिक अंडे बेचकर अपना घर भर रहा था।
बरसात में मुर्गी का घर नहीं बन पाया।
मुर्गी बोली- आप मेरे सारे अंडे ले रहे हैं। मुझे आधा पेट खाने को दे रहे है। कहा था कि घर सोने का बनेगा। नहीं बना। मेरे घर की मरम्मत तो करवा दो।
मालिक भावुक हो गया।
बोला "तुमने कभी सोचा है इस देश में कितनी मुर्गियां हैं जिनके सर पर छत नहीं हैं। रात-रात भर रोती रहती हैं। तुम्हें अपनी पड़ी है। तुम्हें देश के बारे में सोचना चाहिए। अपने लिए सोचना तो स्वार्थ है।’’
मुर्गी चुप हो गई। देशहित में मौन रहने में ही उसने भलाई समझी।
अब वह अंडे नहीं दे पा रही थी।
कमजोर हो गई थी।
न खाने का ठिकाना न रहने का।
वह बोलना चाहती थी लेकिन भयभीत थी।
वह पूछना चाहती थी-
"इतने पैसे जो जमा कर रहे हो- वह क्यों और किसके लिए?
देशहित में कितना लगाया है?"
लेकिन पूछ नहीं पाई।
एक दिन मालिक आया और बोला- ’’ मेरी प्यारी मुर्गी तुझे देशहित में मरना पड़ेगा। देश तुमसे बलिदान मांग रहा है। तुम्हारी मौत हजारों मुर्गियों को जीवन देगा।’’
मुर्गी बोली "लेकिन मालिक मैने तो देश के लिय बहुत कुछ किया है,"
मालिक ने कहा अब तुम्हे शहीद होने पड़ेगा।
बेचारी मुर्गी को अब सब कुछ समझ आ गया था
लेकिन अब वक्त जा चुका था और मुर्गी कमज़ोर हो चुकी थी, मालिक ने मुर्गी को बेच दिया।
मुर्गी किसी बड़े भूखे सेठ के पेट का भोजन बन चुकी थी।
*मुर्गी देशहित में शहीद हो गई.*???
(नोट- जो आप सोच रहे हैं ऐसा बिल्कुल भी नही है।
ये सिर्फ एक मुर्गी की कहानी है।
युवा बेरोजगारों, किसानों ,मध्यवर्गीय नागरिकों, मजदूरों,गरीबों , कर्मचारियों को और अधिक उन्मादी होकर राष्ट्रभक्ति में *बिना चू चप्पड़ किये* देशी नेताओ और कॉरपोरेट्स की तिजोरी भरना महान राष्ट्रभक्ति और युगधर्म की कसौटी है। इसपर चलते रहें ")
* अपना अधिकार मांगेंगे तो कहेंगे कि देश पर बोझ पड़ेगा और जब अपने वेतन भत्ते बढ़ाने होंगे तो हाथ उठाकर बिना बहस किये बढा लेंगे. Copy past
?
कोविड-19 कोरेना संक्रमण और बीहार कोरोना के संक्रमण से बीहार में अब तक 83 लोग संक्रमित हो चुके है दो लोगों कि म्रत्यु हो चुकी है एवम् 37 संक्रमित वयक्ति ठीक हो चुके है , अब बीहार मे राज्य से बाहर फंसे मजदूर एवम् कोटा़ मे फंसे बीहारी छात्रों पर राजनीति शुरू हो गई है। तेजस्वी यादव जी ने दील्ली से या चाहे जंहा वो एकांतवास मे जाते है वहां से एक वीडियो फेसबुक मे अपलोड किये है जीसमे वो नीतीश जी से लीखा हुआ स्क्रिप्ट पड़ते हुए हाथ जोड़ कर अपील की है की बीमारी हवाई जहाज वाले लाए और सजा बी.पी.एल वाले भुगते ये नही होना चाहिए नीतीश जी अपने ड़बल ईन्जन की सरकार मे मजदूरो , गरीब लोगों का घ्यान रखते हुए केन्द्र सरकार से सहयोग लेकर वीशेष ट्रेन की व्यवस्था कर ईन्हे अपने राज्य मे वापस लाएं और कोट़ा मे फंसे छात्रों के लिए तो ऊन्होने यु. पी. के मुख्यमंत्री कि तारीफ करते हुए कहा कि जीस तरह योगी जी युपी. कि जनता को वीशेष व्यवस्था कर अपने राज्य मे ला सकते है तो नीतीश जी क्यों नही ला सकते और पप्पू यादव जी अघ्यक्ष जाप ने तो दो कदम आगे बढ़ते हुए 50 बस मदद को बिहार सरकार को कोटा़ मे फंसे छात्रों को लाने के लिए सरकार को देने का वादा भि कर दिया। पर नीतीश जी ईसपर ट़स से मस होते नजर नही आ रहे ऊल्ट़ा ईसपर वो कोट़ा के डीएम पर कार्यवाही करने हेतू प्रधानमंत्री को खत लीख दिए है की कैसे लाकडाऊन मे वो छात्रों को छोड़ रहे है क्योंकि एक खेप छात्र कोट़ा से बस से पहले भी आ चुके है जिन्हें क्वारेंनटाईन मे भेजा जा चुका है। नीतीश जी का कहना है जो जंहा है वंही रहे सरकार हर संभव मदत ऊन्हे पंहुचा रही है और आगे भी पंहुचाएगी । नीतीश जी के ईस बात का समर्थन बीहार कांग्रेस अघ्यक्ष ने भी किया है । नीतीश जी के पुराने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत कीशोर ने भी अप्रवासियों के मुद्दे पर नीतीश जी पर नीशाना साधा है ,और बीहार सरकार कि आलोचना कि है। अब बीहार मे कोरोना की लडा़ई मे आने वाले विघानसभा चुनाव का असर दिखने लगा है जंहा सरकार हर कदम पर वोट़ बैंक का ध्यान रखकर रणनीति बना रही है तो विपक्षी भी हर चाल पर नजर गडाये हुए है अब लाकडाऊन 2.0 मे अभी दो सप्ताह का वक्त है अभी तलवारें म्यान् से नीकली है आगे आगे देखिए क्या होता है और कौन किसका साथ देता है किसका किसके साथ नया गठबंधन होता है सभ पता चल जाएगा ।......
Lockdown 2.0
आज 10 बजे प्रघानमंत्री जी का फिर देश के नाम संदेश आया और लाकडाऊन को 19 दिनों के लिये बढाने कि धोषणा की जैसा की पहले से अनुमान लगाया जा रहा था । अब समस्या ज्यादा गंभीर हो गई है और सरकारी सहायता अपर्याप्त लग रहा है जैसे हम जैसो बहुत लोगों के पास न राशनकार्ड बना है न जनघन खाता है तो हम भारत के नागरिक नही है क्या। कई बार राशनकार्ड बनवाने के लिए चक्कर काटे सारे दस्तावेज जमा किये पर लालफीताशाही से थककर छोड़ दिया। वहीं हाल प्राईवेट कर्मचारियों का है मोदी जि के कहने पर घर बैठे कोई सैलेरी छोटा डीलर या व्यवसायी क्या कोई प्राईवेट कम्पनी नही देगी । तीस पर राशन लेने जाने या जरूरी कार्य से भी निकलने पर प्रशासन का सेनेटा़ईज ड़न्डे का गरीबों पर ईस्तेमाल । मार कौन खाता है गरीब ,प्राईवेट कर्मचारी जो रोजगार के लिए राज्य से पलायन करते है , और रोग कौन फैलाया वीदेशो मे काम करने वाले पैसे वालो ने ईन्हे आज भी वी . आई .पी .सुविधाएं ऊपलब्ध है और जंहा तंहा कानून की घज्जिया ऊड़ा रहे है। अब 19 दिन कैसे कट़ेगा ये गरीब सोच रहा है जिनके पास सुविधा है वो तो लाकडाऊन का समर्थन करेगा ही पर गरीब का हाल पर न कोई नेता वीचार करता है न कोई नीति बनाता है कोई बीमार है, किसी के यंहा दुर्घटना घट़ी है ऊसपर भी सरकार संवेदनशील नही है किसी का कोई दिल्ली मे फसा है कोई गुजरात मे राहत के नाम पर खानापूर्ति हो रही है बस सब भगवान भरोसे चल रहा है। सब्जियां और फल सस्ती हो गई ऊसपर लोग मीम्स बना रहे है ऊस सब्जी और फल ऊगाने वाले और बेचने वालों का हाल नही जानते प्रशासन के ड़र से सब्जी बाजारों मे बेचने से ड़र रहे है वीक्रेता और औने पौने दाम मे कृषक को सब्जियां बेचनी पड. रही है कुछ बरबाद भी हो रहा है। छोटे दुकानदार रोज कमाने रोज खाने वालों का हाल बेहाल है। रिक्शा चालक , ठेला चालक , टेम्पु चालक , नाई , पंक्चर बनाने वाला , फुट़पाथ पर समान बेचने वाला ईन्हे कोई सरकारी सुविधा नहीं है ईनका बस शोषण है। सरकारी कर्मचारियों का वेतन घर बैठे मिल जाएगा ईनका वेतन कैसे मीलेगा ? पांच कीलो अनाज और 500 / से महीने का खर्च चल जाएगा वो भी ऊनका जीनका सरकारी रीकार्ड मे नाम दर्ज है जीनका नही है ऊनका ?? ऐसे बुरे हालात मे देश के कुछ विद्वान कैसी देश सेवा कर रहे है जाने , लगभग सभी प्राईवेट डांक्टर अपने आप को क्वारेंनटाईन कर लीए है क्या नीयमो का पालन करते हुए ये जरूरी सेवा नही दे सकते और हमारे लोकप्रिय नेता मायावती , अखिलेश यादव , क्रांतिकारी नेता कन्हैया कुमार , असुवैद्दीन ओवैसी आदी नेताओं का भी कुछ पता नहीं चल रहा है जनता के बुरे वक्त मे।
कोविड- 19 (कोरोना)और भारतीय राजनीति ।
हम आज कोरोना के महामारी मे भारतीय राजनीति का विश्लेषण करते है। सर्वप्रथम सत्ता पक्ष को देखे कोरेना वायरस का हमला अन्य देशों मे जनवरी मे दिखने वगा था और ईसकी जानकारी सरकार को थी ईसपर सर्वप्रथम राहुल गांधी ने आगाह किया था किन्तु ऊनकि बात को सरकार और जनता द्वारा वैसे ही लीया गया जैसा मीडिया ने ऊनकि छवि बनाई है यानि मजाक मे लीया गया , हलांकि जब ये होली के आसपास ऐसा प्रतित होने लगा कि ये खतरनाक रुप ग्रहण कर लेगा भारत के लिए तब सरकार चींतित नजर आयी कींतु तब भी मजबूत कदम न ऊठाकर बीजेपी मघ्यप्रदेश मे सरकार बनाने को ज्यादा ऊत्सुक नजर आयी और कोरेना के खौफ को नजरअंदाज करते हुए ज्योतीरादीत्य सींघीया को ज्यादा महत्व देते हुए कमलनाथ कि सरकार को गीराकर मामा शीवराज को मघ्यप्रदेश की सत्ता मे बैठा दिया।और ज्योतीरादीत्य सींघीया को पुरस्कृत कर राज्य सभा मे भेजा आगे शायद केन्द्र मे मंत्री स्वतंत्र प्रभार मीले जो भी डिलींग बीजेपी के चाणक्य के साथ हुई हो खैर ये अलग बात है तो प्रघानमंत्री जी ऊसके बाद एक्टिव मोड़ मे आकर अच्छा कदम ऊठाते हुए एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाकर जनता कि मनोदशा को परखा जनता ने पूर्ण समर्थन दिया तो ईक्किस दीन का लाकडाऊन लगाया। जिसमें जनता अपना पुर्ण सहयोग दे रही है स्वास्थ्य कर्मचारियों , डाक्टर, पुलिस सब अपने जिम्मेदारी को नीभा रहे है राज्य सरकार का भी पुर्ण समर्थन मील रहा है । ईस लडाई मे यदि शुरुआती कदम सख्त ऊठाते हुए एयरपोर्ट सील कर दिया जाता और विदेशों से आने वाले हर नागरिक कि सख्त जांच कि जाती तो शायद मामला ईतना नही बढ़ता क्योंकि ईस वायरस का खतरा विदेशों से आने वाले नागरिकों द्वारा ही भारत मे प्रभाव पड़ सकता था खैर वो समय चला गया । अब सरकार ईसमें बहुत हद तक काबू पा जाती अगर नीजामुद्दीन मे तब्लीगी जमात वाला मामला नही आता और ईस मामले मे भारत मे राजनीति नही होती तो , मरकज वाले पुरे राज्य मे फैल गए है आत्मघाती दस्ते कि तरह और हर राज्य ईन्हें अपने राजनीतिक वोटबैंक के हीसाब से डिलींग कर रही है दिल्ली मे केजरीवाल अपने हिसाब से नरम है पहले दो लाख ऊत्तर भारतीयों को खान खिला रहे थे फिर पांच और अब नौ लाख लोगो को तब भी ईतने ही लोग दिल्ली से पलायन कर गए हलांकि वो रोज मिडिया मे प्रकट होते है पर कई मीडिया ऊनका वो नौ लाख लोगो की सेवा वाला राहत शीविर क्यों नहीं दीखाति समझ से परे है जबकि सबसे अच्छा मीडिया मैनेजमेंट का गुण है ऊनके पास महाराष्ट्र के बाद दिल्ली ही कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित है यंहा 903 अब तक कोरोना पाजीटिव केस और 19 लोगों कि ईससे मुत्यु हो चुंकी है ईसमें भी 600 से ऊपर तब्लीगी जमात मे शामिल कोरोना पाजिटिव केश है ।, बिहार मे सुशासन बाबू अपना वोट बैंक बचाते हुए नरम रुख के साथ वो जानते है बिहार कि स्वास्थ्य सुविधा का हाल ईसलिए न मीडिया मे आएंगे ज्यादा न लोग सवाल ऊठाएंगे वहीं हाल ऊनके स्वास्थ्य मंत्री मंगल बाबा का है जो आपस मे ही ताल मेल नही है कि केन्द्र से कीतना राहत मीला कितना नहीं , केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे तो दीखाई ही नही दे रहे शायद कोई पुराना क्रिकेट मैच देख रहे है ,तेजस्वी जी सम्भल के बैटिंग कर रहे अपना वीकेट बचाते हुए आगामी विघानसभा चुनाव के हिसाब से कोई गलत कदम नहीं ऊठाते हुए सरकार पर सहयोग और हमला दोनों करते हुए , पप्पू यादव अपनी पटना बाढ़ वाली छवि अनुसार दोनो मोदी केन्द्र और राज्य वाले पर हमला करते हुए आक्रामक मुड़ मे है परन्तु जब मरकज का मामला आता है तो बैकफूट पर चले जाते है कामोबेश सभी दल बीहार मे मरकज के खिलाफ बोलने से बच रहे है । कलकत्ता मे दिदी अपना वोट़ बैंक को देखते हुए आज भी सामुहिक नमाजियों पर कोई कार्रवाई नही कर रही हैऔर केन्द्र ने भी लाकडाऊन के ऊलंघन पर ऊनसे जवाब मांगा है। ऊत्तर प्रदेश मे योगी आदित्यनाथ अपनी शैली मे कार्रवाई करते हुए अपना बडा लक्ष्य भविष्य कि केन्द्र मे राजनीति को देखते हुए कठोर कदम ऊठाते हुए कार्रवाई कर रहे है और लापरवाही बरतने पर नोएड़ा के डी एम पर कार्रवाई भी किये और राहत कार्य पर पूर्ण नजर बनाए हुए है। महाराष्ट्र मे महामारी का असर सबसे ज्यादा है वहां अभी तक 1666 संक्रमित एवम् 122 मौते हुई है वंहा एक रसूखदार ऊद्योगपति को जो पी. एम. सी. घोटाले मे फंसा है और जीसकी सि बी आई जांच चल रही है ऊसे पांच गाडियों मे भरकर तीन वीदेशी नागरिकों के साथ घार्मिक भ्रमण के लिए सरकार द्वारा पास जारी कीया गया।और जब मीडिया मे बात आई तो आई पी एस अमिताभ घोष पर ठिकरा फोड़ जांच का आदेश दे दिया गया । राजस्थान मे सचीन पायलट तब्लीगी जमात पर सख्ती करने को कह कर अशोक गहलोत जी को और राहुल जी को संकेत दे रहे है भविष्य का कि सींघीया वाली गलती न दोहराए। हलाकि राजस्थान का भीलवाड़ा जंहा 27 कोरेना पाजीटिव मरीज पांए गये थे वो मीशाल पेस करते हुए पुरी तरह कोरेना मुक्त हो गया ।भीलवाड़ा माडल पर घ्यान सरकार को देना चाहिए।छत्तीसगढ़ मे भुपेश बघेल केन्द्र सरकार पर ठिकरा फोड अपने काग्रेंस अघ्यक्ष के सामने अपना नम्बर बना रहे है । ऊडिसा मे बीजु पटनायक एक्टिव मोड पर है और लाकडाऊन को तीस अप्रैल तक बडा दीये है। दील्ली से सटे हरियाणा मे खट्टर जी या ये कहे ऊनके आबकारी मंत्री जी को लाकडाऊन मे जनता से ज्यादा चिंता राजस्व की हो रही है और वह शराब के दुकान खुलवाने के लिए ईतने बेचैन है कि आबकारी सचिव को शराब कि पैकिंग बाट़लींग का आदेश दे दिया है जिससे हरियाणा मे राजस्व प्राप्त हो सके।महाराष्ट्र और दील्ली के बाद क्रमशः तमिलनाडु और तेलंगाना ज्यादा प्रभावित छेत्र है और यंहा भी तबलिगी जमात के द्वारा ही कोरोना का असर ज्यादा फैँल रहा है पर आश्चर्य नहीं हो रहा पर काग्रेंस तब्लिगी जमात पर कुछ भी बोलने से बच रही है हलांकि अब ऊनकि पार्टी से अवाज ऊठने लगी है आज काग्रेंस के पुर्व केन्द्रीय मंत्री और युवा नेता मनीशा तिवारी ने तब्लिगी जमात के खिलाफ खुलकर बोला है और देखना होगा आगे क्या होता है भारत मे कोरेना संक्रमित मरीजों की संख्या 85000 पार कर रही है ।वैसे आज लगभग सभी मुख्यमंत्रीयो ने प्रघानमंत्री के साथ हुई वीडियों कांन्फ्रेंस मे लाकडाऊन दो हफ्तों के लिये बढाने पर जोर दिया है जीसका देश कि जनता भी समर्थन करते हुए लग रही है पर हलांकि सरकार सभी वर्गो का घ्यान रखते हुए राहत की घोषणा कि है और ऊसका पालन भी कर रही है राज्य सरकारें भी जनता कि मदत कर रही है भारत के उद्योगपतियों , फिल्म कलाकारों , खिलाड़ियों , समाजसेवीयो और भारत के तीर्थस्थलों द्वारा भी पी. एम. केयर्स फंड और मुख्यमंत्री राहत कोश मे सहयोग किया गया । हलांकि पी. एम. केयर्स फंड को लेकर राजनीतिक सवाल ऊठ़ने लगे है कि जब प्रघानमंत्री राहत कोष पहले से है तो पी. एम. केयर्स फंड अलग से बना कर क्यों ईसमे सहयोग लीया जा रहा है ईसबारे मे मोदीजी शायद आने वाले समय मे जनता को जानकारी दे। कोविड-19 की शुरुआत चाईना और ईसकी जननी वुहान प्रांत है आज ये देश ईसके कहर से मुक्त हो गया है और चिन मे अब लाकडाऊन समाप्त हो गया है। और पुरे वीश्व को अपने चपेट़ मे ले लिया है हमारे देश मे अभी ये दुसरे चरण मे है अभी ये तिसरे चरण यानि कम्युनिटी ट्रांसप्लांट मे नही पहुंचा है जिसका कारण लाकडाऊन है। अगर जरा सी चुक हुई जो हो रही है ऊससे नहीं सम्भले हम और ये तीसरे चरण मे पंहुचा तो ताली और थाली पिट़ते रह जांएगे हम भारतवासी हमारे पास एक और केवल एक ही दवा है ईस महामारी से बचने का वो है छुप जाना क्योंकि चाणक्य भी कहते है जब दुश्मन मजबूत और खतरनाक हो तो छुपाने मे ही भलाई है।जब जंगल मे आग लगी हो तो बिल मे छुप जाना चाहिए। आगे का विशलेषण अगले कालम मे कोविड-19 और वीश्व राजनीति।
प्रमोद सिंह
ग्राम+पोस्ट-भट़गाई
जिला- छपरा
बिहार